Sunday, August 2, 2015

Is this friendship क्या यह दोस्ती है (friendship day)

गांव से अभी नए शहरी स्कूल में प्रवेश लिया था गीता ने , पुरानी  संस्कृति मान्यताओं और तहजीब में पली बढ़ी थी हमारी छोटी गुड़िया , नए स्कूल का हर अंदाज नया ही था आपस की सहेलियों का गुट बनाकर बैठना ,मजाक उड़ाना और बात बात पर नीचे दिखाने की कोई  कोशिश यह सब नयी व्यवस्था का एक अंग बन कर रह गया था , पढ़ाई में कुछ ज्यादा ही तेज होने के कारण ये सब तो होना ही था उसके साथ , पढ़ाई , खेल , और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उसका तहलका ही रहता था , शिक्षकों का एक आदर्श पक्ष उसकी तरफ ही रहता था , और बिना किसी की चिंता किये उसका जीवन तेजी से भाग रहा था , और इसी तरह उसका चयन आई आई टी जैसे सस्थान में भी हो गया ,छात्रों के  गुट  उसके आस पास भी मंडराने लगे थे ,उनमे दो युवक देव और ओम भी थे सामान्य दोस्ती में देव ने उसे अपने घर की परिस्थिति बतायी , बहुत गरीबी , पिता का माता और पूरे घर के साथ बहुत गन्दा व्यवहार और कई बार उस व्यवहार से परेशान होकर खुदकशी की कोशिश भी की गई थी ,उसके द्वारा ,ओम ने भी यही कुछ बताया कि माँ की मृत्यु के बाद पिता ने शादी की और सौतेला बन गया बच्चा,  बड़ी पीड़ा दायक कहानी थी दोनों सह पाठियों की , कई दिन तक गीता उनको कैसे सहायता की जाए, सोचती रही  थी , यह सहानुभूति एक दिन दोस्ती में बदल गई थी ,गीता अच्छी किताबो के नोट्स तीन प्रतियों में बनाकर उन्हें भी सहायता देती थी ,और जब कोई समस्या आती थी तो पैसे , रुपयों से भी सहायता करती रहती थी , उसके सामने महाविद्यालय में वे लोग बहुत दीन हीन से बने रहते थे,   एक सप्ताह बाद फ्रेंडशिप डे था सारे कॉलेज में उसकी धूम मची थी , आधुनिक लड़के लड़कियां अपने अपने समूहों में इधर उधर बैठे मस्ती कररहे थे गीता अपनी टीचर के पास बैठी विभाग के काम कररही थी | 


यदा कदा  उसकी टीचर से बात होती ही रहती थी, टीचर ने उससे पूछा बेटा आपको कोई हेल्प चाहिए हो तो बताना , क्योकि आपसे मुझे बहुत उम्मीदें है , गीता ने कहा हाँ मेम, मेरे गाँव में और मेरे घर में कोई इतना पढ़ा ही नहीं है , पिता का सपना है कि मैंबहुत बड़े पद पर पहुँच कर अपने गाँव  घर और अपनों का सम्मान बढ़ाऊं, ----हाँ मेम आप यदि हेल्प ही करना चाहती हैं ,तो मेरे फ्रैंड्स की करदें ,बहुत गरीब और परिस्थिति के मारे है वो दोनों , टीचर ने कहा , कौन है वो, तो गीता ने दोनों की पूरी कहानी उनके सामने दोहरा दी , टीचर न जाने कहा खो गई थी एक गहरी सोच के बाद वो बोली  बेटा परसों आपका कोई प्रोग्राम  तो नहीं है, गीता ने कहा  नहीं ,टीचर बोली बेटा इस शहर में सबसे बड़ा होटल मेरे पति का ही है परसों फ्रेंडशिप डे है और मेरा कोई फ्रेंड है नहीं हाँ आजसे तुम मेरी अच्छी फ्रेंड हो, तो कल फ्रेंडशिप डे से एक दिन पहले अपन दोनो फेंडशिप डे जरूर मनाएंगे ,| फ्रेंडशिप डे से एक दिन पहले ही , कक्षा में सबने एक दूसरे को बधाइयां दी ,अपनी सारी  बचत इकट्ठी करके गीता ने दोनो फ्रैंड्स को शर्ट  उपहार में दी ,उन्होंने एक कलावा दिया ये माँ ने भेजा है तुम्हारे लिए और गीता उन फ्रैंड्स के बारे में और कैसे हेल्प करे  कल उनके लिए क्या करे ?यही सोचती रही |

 
शाम को टीचर का फ़ोन आया बेटा आप तैयार हो तो मैं  आपको ले लेती  हूँ गीता ने हाँ कहा , और गाड़ी में बैठ कर दोनो शहर के आलिशान होटल में पहुँच गए टीचर ने कहा बेटा  मुझे भीड़ भाड़ पसंद नहीं है ,अपन तीसरी मंजिल के एक ओपन परदेवाले केबिन में बैठेंगे ,जहाँ से होटल के डांस कार्यक्रम और बाहर के दृश्य देख सके , , और दोनो एक एक कॉफी लेकर बात करने लगे काफी देर बाद टीचर ने  कहा  बेटा क्या नाम बताया था आपने अपने फ्रैंड्स का गीता ने कहा ओम और देव ओके बेटा  वो दूर दूसरी मंजिल के उस सामने वाले केबिन में जो लड़के बैठे है उनमे है क्या वो लड़के गीता ने देखा ८-१० कॉलेज के लड़कों के साथ देव और ओम भी शराब पी रहे थे , गीता सन्न रह गई उसने जो रूप इन दोनों का देखा था वो धराशाही हो गया था , टीचर ने अचानक एक फ़ोन लगाया और गीता और टीचर जिस कमरे में बैठे थे उस रूम का सी सी टी वी फुटेज उसकी टी  वी  स्क्रीन पर चालू हो गया ,उन लड़कों की तस्वीरें और बातें सुनाई देने लगी , बेहद भद्दी शर्मनाक और नीचता से भरी , गीता की यह सुन कर रूह काँप गई  कि कल फ्रेंडशिप डे पर सारे लोग उसके साथ पार्टी मनाने वाले है , देव और ओम  शराब के गहरे नशे में बड़ बड़ा रहे थे गीता रानी कल बनेगी सबकी रानी -------- और बहुत कुछ बातों में यह भी मालूम हुआ कि कल इसी होटल में गीता और देव के नाम से कमरा बुक है --------न जाने गीता कब बेहोश हो गई थी जब उसे होश आया तो उसने खुदको टीचर के कमरे में पाया , उसे तेज बुखार था एक ५५ वर्ष का  संभ्रांत आदमी फ्रिज से बर्फ निकाल रहा था , टीचर गीता के माथे पर और वह आदमी उसके पैरों पर बर्फ की पट्टियां  रख रहे थे ,दोनों के चेहरें आंसुओं से भरे थे और होश में आई गीता को देख कर एक एक वो मुस्कुरा दिए ,डॉ ने कहा  नाव शी इज़ आउट ऑफ़ डेंजर ---वह आदमी डॉ को छोड़ने चला गया ,  टीचर  आंसुओं के साथ बर्फ की पट्टियां रखते हुए बोली बेटा ये तेरे अंकल है , उन्होंने और मैंने बहुत साल पहले इस फ्रेंडशिप डे  के चक्केर में अपनी तेरी उम्र की बेटी खोई है , ऐसे ही उसके फ्रेंडस ने उसे बुलाया था उसे बहुत खुश थी वोउस दिन , सबकुछ करना चाहती थी वह उन सबके लिए ,और बाद में शर्म के कारण उसने उसी दिन आत्म हत्या कर ली| गीता को सब समझ आ गया था उसे टीचर में भगवान दिखने लगे थे , |

 

आज फ्रेंडशिप डे था ,और आज सात वर्ष बाद कलेक्टर गीता का सम्मान समारोह था , गीता  अपने माता पिता के साथ बड़ी स्टेज पर बैठी थी प्रदेश के मुख्यमंत्री गीता की  भूरि भूरि प्रसंशा कर रहे थे , अनेक सस्थानों ने गीता को प्रथम आने पर एवम इस प्रदेश के लिए चयन के लिए बधाइयां दी अचानक गीता ने माइक हाथ में लेकर सबका धन्यवाद किया और अपने मित्र को पुकारा स्टेज पर अचानक गीता की टीचर और उनके पति वहां पहुंचे ,  गीता सारी मर्यादाएं छोड़कर टीचर से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी शायद उसे जीवन ने सब कुछ दे दिया था । टीचर बेसुध सी बेतहाशा रोती  रही उनके पति गीता के सर पर हाथ फेरते रहे जैसे उसकी अपनी लड़की कह रही हो कि माँ  पापा मैंने जीवन जीत लिया है |

आज जब हम तथाकथित सभ्य समाज में खड़े है  वहां  जीवन भर के संसाधन बहुतायत में हमारे पास इकट्ठे हो गये है हम हर चीज का  मूल्य लगा कर उसे हांसिल करने की हर तरकीब जानते है , या उसका प्रयत्न करते रहते है ,जबकि यह हमें स्वयं नहीं मालूम होता कि इसके बाद क्या होगा,  बस हम केवल उपयोग उपयोग और फिर वहीँ खड़े होकर नए उपयोग की तैयारी में लग जाते है, शायद हम यह नहीं समझ पाये की संतोष शांति और आनंद की अनुभूति का सम्बन्ध किसीसे कुछ छीनने से नहीं , वरन त्याग की उस पराकाष्ठा से है जहाँ हम दूसरे की ख़ुशी के लिए किस स्तर तक त्याग कर सकते है ,आज जब हम सब संसाधनों के ढेर पर बैठ कर हर चीज खरीद  फरोख्त के लिहाज से परख रहे है, तो यह स्पष्ट समझ ले की हम जीवन की छोटी सी ख़ुशी भी हासिल नहीं कर सकते है | क्योकि संतुष्टि का सम्बन्ध उपयोग से न होकर आत्मा की गहराई से होता है |




फ्रेंड शिप  किसी के उपयोग और छीनने का कोई अलग मौका नहीं है , वरन शायद यह वह मौका है जिसे मन और अंतरात्मा से अनुभव किया जा सके , आज हम जब इन दिनों को मानाने की बात सोचते है तो बड़ी बड़ी गिफ्ट , बड़े पांचसितारा होटल या छोटे होटल , बड़ी बड़ी ऐशो आराम की चीजें और  वासना, उत्तेजक वातावरण  और हर चीज का प्रयोग बिना अच्छे बुरे का विचार किये , शायद आधुनिक पीढ़ी इसे ही  अलग अलग दिनों सा सेलिब्रेट करने का त्यौहार समझ बैठती है ,

मित्रो फ्रेंड शिप का आशय एक आईना है  जो आपको आपका समग्र आकलन दिखा सके , आपको अपनी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ आपका ही दर्शन करा सकें ,तथा समय समय पर आपमें सुधारके लिए वो सब कर सके ,जिससे आपका व्यक्तित्व कृतित्व एक ऊंचाइयों के साथ, अडिग खड़ा रह सके , हम बस केवल फ्रेंडशिप का आशय यह समझते है ,जैसे कोई व्यवसाइयों का दलाल किसी माल की बेतहाशा बढाई कररहा हो जबकि उसे मालूम हो की इस माल में बहुत से दोष विद्धमान है, परन्तु वह केवल यह सोचता है कि दोष है तो रहने दो ,मगर मुझे तो इसमें ही फायदा है कि मैं इसको सही गलत का ज्ञान ही नहीं होने दूँ  इसमे ही मेरा फायदा है , हा मित्रों यही सही है आपको गलत बता कर सही रस्ते पर लाने वाले के साथ आप चल ही नहीं पाये क्योकि आपकी अंतरात्मा अपने सामने अपना आंकलन करने का साहस ही नहीं रखती |


फ्रेंडशिप का आशय जानना है तो उस कृष्ण से जानिये जो अर्जुन को निकृष्ट , ,   नाकारा , मूर्ख आसक्त और भोग विषयों में पड़ा हुआ बताकर भी सद मार्ग पर लाने की चेष्टा कररहा है , वह हर शोषण करने वाले , और जिसने उसके साथ अन्याय किया उससे युद्धः  का संकल्प लेने और उसे समूल नष्ट करने की बात कररहे है , वे दूसरी और सुदामा को भयानक त्रासदी देकर भी सम्पूर्ण लोक की दौलत दे डालते है , और जो राम बनकर विभीषण और सुग्रीव को गलती और अच्छाइयों के साथ स्वीकार करते हुए उन लोगो के खिलाफ संघर्ष की बात करते है जो आपके विकास और शोषण के कारण रहे , मित्रो ध्यान रहे जो लोग आपके अतीत में आपके शोषण का कारण रहें या विकास में बाधक बने उनको अपने मन बुद्धि से समूल नष्ट करने में आपकी जीत है यदि आप एक सामान्य आदमी की तरह स्वयं को बचाकर अनेक झूठ सच और दोहरे व्यक्तित्व के साथ सबको लेकर चलने का प्रयत्न करेंगे तो आपकी सभ्यता संस्कृति और जीवन की शांति स्वयं नष्ट भ्रष्ट हो जावेगी |

जीवन के मूल्यों के साथ फ्रेंडशिप को इन बिन्दुओं के साथ समझने का प्रयत्न करें


  • जीवन में गुरु और मित्र बहुत सोच विचार के बाद बनाये जाने चाहिए क्योकि जीवन के हर सम्बन्ध से अधिक सीधा प्रभाव  मित्रता का ही देखा जाता है | 
  • जो मित्रता किणी कार्यों ,वासना , लोभ लालच और शारीरिक मानसिक जरूरतों से बंधी हो वह मित्रता कहने लायक भी नहीं है वह   तो आपको अपनी ही नजर में गिराने का साधन बन बैठेगी | 
  • बुरे व्यक्ति के साथ मित्रता का ज्ञान होते ही आपको मित्रता उस प्रकार ख़त्म कार्डेनि चाहिए जैसे बच्चे के लटके हुए फोड़े को माँ कसाई की भांति खड़े होकर कटवा डालती है | 
  • बुरे , और ख़राब व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह इतना तेज होता है की वह आपके व्यक्तित्व को भी खराब कर ही देगा ,क्योकि आपकितने भी बड़े विशाल और ऊंचे क्यों न हो उसका अपयश आपको अपनी गिरफ्त में ले ही लेगा | 
  • मित्रता का उपयोग करने वाले स्वयं एक दिन अपने जीवन को नष्ट कर डालते है कंस ने कृष्ण को ख़त्म करने हेतु जितने मित्रों का प्रयोग किया वे कंस के साथ ही ख़त्म हुए | 
  • जीवन  के पथ पर कोई रास्ता एक जैसा नहीं मिल सकता आगे आगे और आगे जाने में जो लोग पुराने अतीत के रास्तों में ही भटकते रहना चाहते है वे जीवन भर अपना गंतव्य प्राप्त नहीं करपाते | 
  • जीवन में विचारों और अपनी मानसिकता में किसी भी ऋणात्मकता   को स्वीकार न करे जो व्यक्ति , समय घटना आपको नकारात्मकता दे उसे उसी तरह भूल जाए जैसे मृतात्मा को आदमी दुसरे पल भूल जाता है | 
  • आपके जीवन का उद्देश्य शादी ,प्रेम , ऐश , और कैसे भी केवल अपना सुख खोजने का है तो आप ऐसा ही जीवन जी सकते है जिसमे आप एक भीड़ की शक्ल में अपनी छोटी छोटी चीजों के लिए संघर्ष करते जीवन से बिना उद्देश्य की पूर्ती के चले जाएंगे । 
  • कृष्ण के जीवन से केवल यही सीखें  कि  गोपियों के अनन्य प्रेम में वो बंधे अवश्य रहे परन्तु जीवन में लौटकर कभी नहीं गए , गोकुल , मथुरा दोस्त सब जहाँ बने वहीँ रह गए क्योकि  जीवन के सर्व श्रेष्ठ भाव को वे कृष्ण ही दर्शा सकते थे ह, और यही मित्रता की परिभाषा भी थी | 
  • निंदक नियरे रखिये ------ मित्र ऐसा हो जो आपको आईने की तरह आपके व्यक्तित्व को बताता रहे यदि ऐसा हुआ तो आपका व्यक्तित्व स्वयं परिष्कृत हो जाएगा जरूरत यह है की आप स्वयं की आलोचनाएँ सहन कर सकें ।




अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...