Sunday, May 25, 2014

संकल्प की साधना ही सफलता है (worship of aim)


जीवन बहुत सरल और अत्यधिक कठिन हो  सकता है ,यहां हर आदमी बहुत जल्दी में  है, और भागता जा रहा है| उसकी इच्छाएं बढ़तीजारही है ,जीवन के आंकलन धुंधलें होते जारहे है ,और बार बार की निराशाओं से तंग आकर वह स्वयं को दोषारोपित करने लगा है ,परिणाम यह है की उसने स्वयं अपनी जटिलताएं इस रूप में बढ़। ली है जहाँ  वह स्वयं अपने हीबनाये  चक्रव्ह्यू में फंस गया है | परिवार ,समाज , मित्रों ,और सम्पूर्ण दुनियां में उसका स्थान कहाँ है यह देखने के चक्कर में उसने तमाम तरह की नकारात्मकताएं पैदा कर ली है ,जो उसके भविष्य  की उन्नति के लिए अधिक बाधक बनी रहती है | 

दोस्तों  प्रकृति का एक सिद्धांत है की वह हर काम सब्र से समय ,मर्यादा और कार्यके समाप्त होने के समय का  निर्धारण करके करती है ,उसे उसके कार्यों की तीव्रता और उसके  सामायिक महत्व के बारे में पूर्ण ज्ञानहोता है , धूप।, हवा ,पानी, हिमस्खलन , उर्वरक मिट्टी एवं शून्यता  का सामंजस्य बना कर ही चलती है ,उसका सामंजस्य टूटते ही भयानक आपदाएं आजाती है , चद्रमा की पूर्णता (पूर्णिमा )सूर्य का जल शोषण और बहुत सी स्थितियां समुद्र को ज्वार भाटे  ,शांति और गरूत्वाकर्षण को प्रभावत करती रहती है , ध्यान रहे की इंसान में भी नमक ,और जल का अनुपात कमोवेश वैसा  है जैसा समुद्र का ,तो स्वाभाविक है इंसान का  मन मष्तिष्क भी इन परिवर्तनों से अछुता नही रह सकता | उसमे भीउसी प्रकार परिवर्तन उत्साह निराशा और शून्यता का अनुभव होता ही रहता है । 

समस्याएँ ,समय और  नई  नई चिनौतियां आदमी को हर पल उठानी ही होती है और इन्हीं से संघर्ष कर आदमी संसार में स्वयं को स्थापित करपाता है ,जब हर स्थिति समय और प्रकृति ही सशक्त  है तो हमारे पास क्या है ?दोस्तों हमारे पास है संकल्प कर्त्तव्य और कठिन परिश्रम एवं  सोच और ये ही ऐसी शक्तियां है जिनसे इतिहास लिखे है मनुष्यों ने ,विवेकानन्द का रामकृष्ण , सुकरात  ,ईसा ,मोहोम्मद और नानक  को देवता बनाने वाले और कोई नहीं उनके संकल्प ही थे , मित्रों संकल्प की साधना ही वस्तुतः सफलता का नाम है ,जब हम अपनी संकल्प शक्ति को छोड़ देते है तो हम केवल तात्कालिक विषय वस्तुओं से संतुष्ट दुखी और अकर्मण्य बने बैठे रहते है ,और इस समय हमारी सोच केवल यह 
रहती है  कि हमे क्या अच्छा लग रहा है ,
इसमे एक तथ्य यह भी है कि हमारी शारीरिक कमजोरियां हमारे मन मष्तिष्क पर हावी हो बैठती है और  मन मष्तिष्क से अति आवश्यक कार्य भी हमे कार्य  प्रेरणा नहीं दे पाते अर्थात मन और मष्तिष्क पर शारीरिक कमजोरियों का साम्राज्य हो जाता है और यहीं से पैदा होती  सारी समस्याएं , आलस्य और अकर्मण्यता । 

सारतः यह  कि   जीवन में आगे बढ़ते हुए मनुष्य के के लिए आवश्यक है की वह अपनी नकारत्मकताओं पर अंकुश 
लगाना सीखें , जिसके लिए निम्नांकित को जरूर अपनाएँ । 

  • स्वयं को एक निश्चित योजना में बांधें और उसके पूर्ण करने हेतु क्या क्या कदम उठाने है यह निश्चित करें तथा उन्हें क्रियान्वित करने का तरीका तय करें । 
  • मन और मष्तिष्क के सामंजस्य से यह तय करें कि आपक्या करना चाहते है और उसमें शारीरिक अक्षमताएं पैदा न होने दें ,ध्यान रहे  की शरीर एवं मन को नियंत्रित और बंधन में रखें । 
  • स्वयं अपने संकल्प बनाएं और पूर्ण निष्ठां से उसे वैचारिकता का आधार बनाये उसे छोटे छोटे भागोंमें बाँट कर उन्हें पूर्ण करने का निश्चय करें । 
  • संकल्पों को नियत समय के आधार पर पूर्ण करने का प्रयत्न करें यदि समयके आधार पर आपके संकल्प सही  नहीं हो पाये तो निश्चिततः आपको लाभ नहीं मिल पायेगा । 
  •  शरीर को मन और मष्तिष्क के आधीन ही रखना चाहिए ,   क्योकि  शरीर की आपूर्तियाँ और पोषण तो अति आवश्यक है मगर केवल शारीरिक सुख के लिए हर कार्य छोड़ देना यह पतन का मार्ग है । 
  • कार्य और संकल्प की  पूर्ती के समय यदि कोई  बाधा उत्पन्न होती है तो उसे धैर्य से पूर्ण करने का प्रयत्न करें क्योकि अति आवेश और नैराश्य में सामान्य हल भी समझ नहीं आपाता है । 
  • अपने संकल्प को उस परमशक्तिमान को सौंप  कर कार्य करें  साथ ही  यह प्रार्थना करें कि  मै  आपके दिए हुए मार्ग  में आपकी क्रियान्वयता से कार्य में लगा हूँ आप  इसका निरीक्षण  करते रहिये ,आपका कार्य सफल ही होगा यह विचार करते  रहिये। 
  • संकल्प की साधना या उसके चिंतन और क्रियान्वयन में आपको सामंजस्य की आवश्यकता है आपको यह चाहिए की आप समय कार्य और निरंतरता का मन बना कर कार्य करते रहिये । 
  • अपने संकल्प पर दोनो समय पूर्ण मनोयोग से चिंतन करे और यह भी विचार करें की मैने उसके लिए आज क्या कर सका हूँऔर कल क्या नया और अच्छा कर सकता हूँ । 



Sunday, May 18, 2014

गुणवत्ता पूर्ण जीवन और लक्ष्य (क्वालिटी लाइफ एंड ऑब्जेक्ट )

हम सब जीवन से बहुत कुछ चाहते है --  सफलता  ,नाम , पैसा , अधिकार , सत्ता , प्रेम , सौहार्द , और भी बहुत कुछ कहने का आशय यह की हर सबसे ऊँचे बिंदु पर पहुचने की कल्पना हमारे मन मष्तिष्क में  बनी  रहती  है और यदि कही हम ये सब प्राप्त नहीं कर पाते तो हमे अपने आपसे कष्ट निराशा और क्षोभ होने लगता है , हर बात में अपने आपको दोष देना, अपने को तिरस्कृत समझना , और अपने कर्म को अति श्रेष्ठ समझ कर उसमे परिवर्तन के सारे रा स्ते बंद कर देना यह एक सामान्य सी प्रक्रिया है, और हम भी सामान्य आदमी बने खुश , दुखी और सामान्य सोच के साथ पैदा  होने और मरने के  क्रम में अपनी बारी का इन्तजार कर रहे होते  है ,एक कर्त्तव्यहीन ,पराश्रित , और कृतघ्न की तरह जिसे यह भी ध्यान नहीं है की उस ईश्वर, गॉड , मालिक , या अल्लाह ने  अपनी श्रेष्ठ कृति के रूप में पैदा किया है और हम सबको यही सिद्ध करना है की हम उस सर्वशक्ति मान की श्रेष्ठतम कृति है |

दोस्तों जीवन गुणात्मक आधार वाला होना चाहिए और हर व्यक्ति में उस सर्वशक्तिमान में वह शक्ति दी है  जिससे वह अपने आपको सिद्ध कर सकता है ,जीवन का  उद्भव स्वयं एक परीक्षा है जिसमे आपको अपनी सर्वश्रेष्ठता सिद्ध  करनी है , आपके पास बहुत से शॉर्टकट (कैसे भी सफल होने के मार्ग)है और जीवन  में झूठ , मक्कारी, धोखा , बेईमानी , लालच , और कैसे भी अपना काम निकलने के नकारात्मक उपाय और किसी भी नीचता तक जाने के बाद काम में सफल होने की कला हो सकती है ,मगर ध्यान रहे  आप जिस जीवन के लिए ऐसी सफलता के लिए चुन बैठे है वो जीवन आपको एक दिन तिरस्कृत कर डालेगा और इस सफलता के लिए आपको दोष देता रहेगा  क्योकि आदमी स्वयं से झूठ बोल ही नही पाता  है ,लाख कोशिशों के बाद भी अपने दुष्कर्मों से वह स्वयं मुक्त नहीं हो पाता | इसके विपरीत आपका जन्म एक निश्चित उद्देश्य के लिए हुआ है और उसकी प्राप्ति में आपको अनगिनत स्थानों पर आपको सर्वश्रेष्ठ साबित करना है वह भी सत्य ,दया कठिन परिश्रम ,परमार्थ ,और पूर्ण निष्ठां के साथ आपका भाव वही होना चाहिए कि  आप प्रकृति की भांति , ईश्वरीय गुणों की तरह अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित है , एक दिन आप अपने उस महा लक्ष्य पर जरूर पहुँच कर स्वयं को सिद्ध कर पाएंगे |

हम जो कुछ भी पैदा कररहे है वह हमारे जीवन का अंग बनकर हमारे साथ रहने वाला है और उसमे सबसे अधिक
महत्व पूर्ण सत्य यह है की हम जिस तरीके से अपना लक्ष्य प्राप्त कररहे है उसका गहरा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ने वाला है गुणवत्ता पूर्ण जीवन का अंतिम लक्ष्य संसार को सुख शांति और सौहार्द के उपहारों के लिए अंतिम छण  तक संघर्ष करना और मानवता को सुखी करने का प्रयत्न करना  रहा हैं ,दूसरी और संसारके महान कहलाने वाले बर्बर शासकों  की उपलब्धियां और इतिहास देखें आपको मालूम पड़  जाएगा की आप जीवन  गुणात्मकता की बात कर रहे है बस वाही नहीं थी इन शासकों में और इतिहास उनके जीवन को एक  बदनुमां  धब्बा मान कर याद करता है ,जबकि
हजारों लाखों वैज्ञानिक ,नेताओं  सामाजिक ,धार्मिक प्रवर्तकों ने अपना जीवन अपने निहित  लक्ष्यों के साथ पूर्ण किया उन्हें आज का इतिहास मानवीय इतिहास के सर्वश्रेष्ठ मानव के रूप में याद करता है , दोस्तों हमे  उस गुणात्मक जीवन  आवश्यकता है जो हमारे कार्यों पर हमारे देश , समाज और सम्पूर्ण विश्वको गर्व का अनुभव करा सके |


जीवन की गुणवत्ता के लिए निम्न का प्रयोग करके अवश्य देखें |

  • स्वयं को एकाग्र चित्त करना सीखें जबतक आप पूर्ण एकाग्र चित्त  नहीं हो पाएंगे तब तक आप अपने मुख्या लक्ष्य  तक नहीं पहुँच पाएंगे , बार बार लक्ष्य बदलने होंगें | 
  • मन और शरीर को एक नियत सीमा तक ही खुला छोड़े ,मन और शरीर की स्वतंत्रता आपके दैनिक संकल्पों का अतिकृमण नहीं करें अन्यथा आपका  सफलता का  मार्ग  प्रशस्त  नहीं हो पायेगा | 
  • जीवन को अपने दैनिक प्राप्त समय के हिसाब से बाँध कर रखें ,ध्यान रखे की समय बद्ध योजना के आभाव में आप दिशा भ्रमित हो जावेंगे | 
  • अपने जीवन को गुणात्मक आधारों पर बनाये रखें , सत्य , अहिंसा, अपरिग्रह , प्रेम , सौहार्द , धैर्य , अक्रोध ,और सबको दया करुणा और सर्वहिताय का चिंतन अपने कार्यों में अवश्य करें | 
  • एक सर्व  शक्ति मान  आपके हर धनात्मक कार्य और व्यवहार में सहयोग कररहा है ,अपने कर्त्तव्य निर्वहन के साथ उसका भी कुछ समय ध्यान करें सोच यह रहे की वह हमे सफलता अवश्य देगा | 
  • अपने जीवन मूल्यों और आदर्शों से कभी समझोता न करे क्योकि जीवन पल पल बदलता जाता है  मगर मूल्य और आदर्श  आपके जीवन को आधार देते रहते है | 
  • समय की गति के साथ हो रहे परिवर्तनों ज्ञान ,विज्ञान , और तकनीकी बदलावों को अपनाते हुए अपने लक्ष्य को सरल बनाया जा सकता है मगर ध्यान रहे की आप उनमे ुलघ कर अपना लक्ष्य न खो दें | 
  • आपको क्या अच्छा लगता है और क्या वह आपके लिए वास्तव में सही है इसका ध्यान अवश्य रखे हमारा लक्ष्य एक है मगर यदि असावधानी और अच्छा लगने के भ्रम में हम समय गावं देंगे तो सफलता भी दूर होने लगेगी | 
  • अपने लक्ष्य और संकल्पों को सदैव और दैनिक प्रक्रिया में दोहराते रहें और उस सर्वशक्तिमान सी रास्ता मांगते रहे मेरा दावा है की आपका लक्ष्य आपको अवश्य मिलेगा | 
  • अपने लक्ष्य और उसके लिए किये गए आज के कार्यों का मूल्यांकन करते रहें यह ध्यान रखें की कर्त्तव्य लक्ष्य की प्रथम सीढ़ी है और वह आपको अपने उच्च बिंदु पर अवश्य पहुंचा देगी यह विशवास रखें | 
  • अंतिम विकल्प यह की लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आज क्या और किया जा सकता है और क्या लक्ष्य प्राप्ति हेतु मेरे प्रयास संतोष जनक है इसका मूल्यांकन अवश्य करते रहें एवं अपने प्रयासों को और सबल और तीव्र करें | 






अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...