महाभारत के युद्ध के बाद कृष्ण ने सबको यथोचित आशीर्वाद दिए और जब अंत में वे कुंती से यह कहने लगे की बुआ अब आप भी जो चाहो वो मांग सकती हो ,कुंती ने विनम्र भाव से यही कहा केशव मुझे दुःख दो समस्याएं दो और ऐसी यातनाएं दो जिनसे मै प्रति पल आपसे जुडी रहूँ और आपके ध्यान में बनी रहूँ ,केशव सुख ,साधन सम्पन्नता और अधिक सत्ता का केंद्रीयकरण स्वयं अहंकार को जन्म देता है और केवल यही कारण है जिनसे मनुष्य अपने मूल उद्देश्य और जीवन का अर्थ खो डालता है केशव मुझे ऐसा सुख नहीं चाहिए | धन्य है भारत की संस्कृति जो मनुष्य को एक बार में ही पूरी संस्कृति के दर्शन करा डालती है |
दोस्तों जीवन में जिन लोगो ने समस्या अभाव और कठिन परिथितियों का सामना नहीं किया हैं वे सब किसी न किसी रूप में पूर्णता नहीं पा सके है ,विवेकानंद, सुकरात, बुद्ध,, टॉलस्टाय ,गांधी और हर बड़े व्यक्तित्व ने उन समस्याओं और कठिन परिस्थितियों का सामना किया है जो सामान्य इंसान की सोच से भी परे है | सहजता स्वयं सारे द्वार बंद कर देती है वहां इस बात का सोच नहीं होता की हम अपने लिए या समाज के लिए कुछ कर रहे है या नहीं वहां केवल एक आलस्य,प्रमाद और सुख के अतिरेक की स्थिति होती है जो और अधिक और अधिक सुख की कामना करते करते स्वयं क्षुब्ध हो बैठती है वहीँ से जीवन के मूल्यों का पराभव होने लगता है |
यहाँ मेरे कहने का आशय यह नहीं है की हम बेकार ही समस्याओं को बुलाते रहें बल्कि जब जीवन के विपरीत समय में हम खड़े हो तब उन परिस्थितियों से घबरा कर भागे नहीं अपितु उनका सामना धैर्य और निर्भीकता से करें ,जिससे समयोचित उत्तर देकर उन परिस्थितियों को संभाला जा सके | एक छोटे बच्चे को मान बाप रोज डरते रहते थे की दूध पी ले नहीं तो बाबा आजायेगा , ये काम करले नहीं तो बाबा आजायेगा ,स्कूल जा नहीं तो बाबा आजायेगा परन्तु समय और परिस्थिति ने उसे बताया बाबा का भय केवल समस्या और उसके आने पर आपके द्वारा उठाये गए क़दमों की सफलता की कहानी हैं |
मित्रों जीवन जिस बड़े सफर का नाम है वहां अच्छा ख़राब ,ऊबड़ खाबड़ , और अनेक कंटकों भरी डगर मिलाना अवश्यम्भावी है और चाहते न चाहते आपको उनका सामना करना ही होगा अब सामना करने के दो मार्ग है एक अपने आपको बेचारा बना कर रो रो कर काम करना और दूसरा पूर्ण धैर्य और शक्ति के साथ समस्या का सामना करना और जीत की प्रबल ज्योति को मन में जलाये रखना बस यहीं से सरे सफलता के रास्ते आपके लिए अति आसान होकर जीवन का पथ प्रदर्शन करने लगेंगे फिर यहीं क्रम जीवन को सफलता की नई नई दिशाएं प्रदान करता रहेगा और वास्तव में जीवन पूर्ण सफल हो पायेगा | जीवन में इनका प्रयोग अवश्य करके देखें |
- यदि बहुत अच्छा समय है तो विपरीत समय भी निश्चित रूप से आने को है और विपरीत समय और अच्छे समय में यही समानता रखना आवश्यक है की दोनों में हम अपनी आदर्श सोच बनाये रखें |
- धैर्य की आवश्यकता केवल विपरीत समय में ही होती है अतैव यह ध्यान रखे की विपरीत समय के निर्णय समय परिस्थितियों और काल के अनुरूप हों क्योंकि प्रेम साश्वत है वैर का अस्तित्व छोटा होता है |
- किसी भी परिस्थिति में अपने ,तन मन और व्यवहार पर पूर्ण नियंत्रण बनाये रखें क्योकि यदि घबराहट , जल्दबाजी और नैराश्य का आधार बनाया तो हम आधी जंग संघर्ष से पहले ही हर जाते है |
- समस्याएँ आने पर यह अवश्य समझे की अब कोई नई उपलब्धि आपके आस पास है और आपको उनका डटकर और पूरी ताकत से निराकरण करना है |
- समस्याएं अपना हल स्वयं लेकर आती है एक दार्शनिक ने यह कहा की समस्याएं आपको जीत का बड़ा सुख देने आती है उनके बिना कभी आप स्वयं को जीता हुआ नहीं समझ पाते ।
- समस्याओं के निराकरण में सकल्प और निरंतर कड़े परिश्रम की आवश्यकता होती है आपको समस्या के समाधान के लिए तुरंत एक कार्य रूप रेखा बना कर कार्य करने की आवश्यकता है ।
- समस्याओं के समय केवल उनका सोच या दुःख मनाएं जिसमे आप समय रहते कुछ कर सकते थे मगर आप नहीं कर पाये ,उन समस्याओं जिनपर आपका वश नहीं है उनका दुःख नही मनाएं |
- समस्याओं में कोशिश यह करें की आप अपने शक्ति प्रयत्न और प्रयासों से उन पर विजय प्राप्त करें ज्यादा लोगों को उसमे सह भागी न बनाये अन्यथा वे आपको और हतोत्साहित कर देंगें |
- समस्या के समय आप अपने कर्त्तव्य और नियत कार्य योजना पर बने रहें और यह विशवास बनाये रहें की ये सब कुछ समय में पूर्णतः ठीक हो जावेगा |