जीवन भर इंसान अपने आस पास मिथ्या भ्रम ओर बनावटी अपनत्व के आवरण में ठगा जाता रहा है उसके सामने यह प्रश्न हमेशा खड़े रहे कि वास्तव में सच क्या है मगर वह अपनी सामयिक जरूरतों ,परिवेश ओर समाज में श्रेष्ठ कहलाने या अपने को अति आधुनिक सिद्ध करने कि चाह में वो सब करता रहा जों उसे शारीरिक मानसिक ओर परिवेश के हिसाब से अच्छा लगा ,वह समय उसका था वह सारी सोच से परे केवल अपने बारे में अपनी उपलब्धियों के बारे में ही सोच पाया यहाँ कोई मान दंड नहीं थे एक दूसरे को भावनात्मक शस्त्र से लूटा जाता रहा ओर उसकी इच्छा थी या नहीं थी इसकी परवाह किये बगैर अपने घ्रणित कर्मों को अंजाम दिया जाता रहा साथ ही जीत के अहसास में स्वयं को जीता हुआ मानi गयासत्य तो समय को सिद्ध करना होता है समय बताता रहा कि जीवन के मूल्य आदर्श ओर मान दंड क्या है ,हमारे हर क्रियान्वयन से हम कितने सफल ओर असफल रहे यह समय ही बताता रहा ,हर क्रियान्वयन पर हमे उत्साह ओर नैराश्य देता रहा
हर सिक्के के दो पहलू होते है एक तो धनात्मक दूसरा नकारात्मक हम जब भी अपने आवरणों में छुपे शारिरीक मानसिक ओर सामाजिक भूख के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है ,यहाँ हमारे मानदंड आत्मा कि आवाज ओर सत्य आदर्श तथा मूल्य बेईमानी हो जाते है हम उनकी परवाह किये बिना जीवन को अधिक से अधिक भुना लेना चाहते है दोस्तों आदमी कि सम्पूर्ण शक्तिया सीमित होती है वह तरह २ के प्रयासों से अपने स्वार्थो को सिद्ध करने कि कोशिश करता रहता है यदि उसकी क्रियाओं में व्यवधान हुआ तो वह एक घटिया स्तर पर अपने आपको सिद्ध कर देता है यही त्रासदी है मनुष्य की जब समय निकल जाता है तब सारी स्थितिया अपराध बोध हो जाती है कल तक जों प्रेम अपनत्व का नाम लेकर गुमराह कररहे थे वो साधिकार हुक्मरान बन बैठते है ओर जीवन को शोषण के चरम पर पहुचा देते है
मित्रों दुनिया का असली रूप यही है यहाँ हर इंसान आपसे केवल लूट कि भावना लिए खडा है आप्स्व्यम एक अजेय इकाई हो आपका महत्व ब्रह्माण्ड ने सर्वा अधिक तय किया है आप ख़राब ओर अच्छे का भेद जान कर भी उसके प्रभावों से बचने का प्रयत्न करते रहें किसीको भी अपने विकास ओर पूर्ण सोच में बाधक न बनाने दें शायद यहीं से आपको अपना मार्ग साफ दिखाई देने लगेगा
प्रेम असीमित अवर्णीय ओर आत्मा का विषय है जबकि उपर्युक्त क्रियाए वासना स्वार्थ ओर डकैती जैसी है जिसमे डरा कर बुरेमार्ग पर लेजाकर ओर किसे भी हवस पूर्ती सम्मलित है, इसका जीवन बहुत छोटा ओर भविष्य के लिए अपराध बोध होगा सत्य कडवा ओर तल्ख़ हो सकता है मगर उसके फल बहुत समय तक आदमी के जीवन को वह आदर्श संतोष ओर शांती दे सकते है जिसकी कल्पना हर आदमी के वश कि बात नहीं है
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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